ऋषि पराशर के अनुसार
१) यदि राहू पंचम भावः में हो उस पर मंगल की दृष्टि हो तो संतान की हानि होगी ..
२) यदि पंचमेश निर्बल है,लगनेश और मंगल एक साथ कहीं भी स्तिथ हो और ब्रहस्पति रहू के साथ हो तो संतान की हानि होगी ..
३) यदि पंचमेश , पंचम भावः में राहू और शनि के साथ है और चंद्रमा की भी युति या दृष्टि है तो संतान की हानि होगी ..
फल दीपिका के अनुसार
१) यदि पंचम व नवं भावः में किसी महिला की कुंडली में पाप ग्रेह स्तिथ है तो वेह या तो बांज होगी या मृत बच्चें पैदा होंगे ..
२) यदि किसी महिला की जनम कुंडली या नव्माश के सप्तम भावः का स्वामी मंगल शनि या सूर्य हो ऐसी महिला को जनेन्द्रिय सम्बन्धी रोग या उदर रोग होगा जिससे गर्भ धारण करने में या गर्भवती होने के बाद परेशानी होगी
३) आद्रा ,शतभिषा ,ज्येष्ठ ,मूला, कृतिका ,पुष्य , चित्रा नक्षत्रों में जन्मी हुई महिलाएं या तो बांज होंगी या बचे हुए तो जीवित नहीं रहेंगे..
४) यदि पंचमेश नीच की राशिः में है या क्षत्रु राशिः में है या षष्टेश अष्टमेश या द्वादशेश में से किसी एक के साथ है तो बच्चों की हानि होगी .
५) यदि पंचमेश पंचमेश भावः में है परन्तु उस पर किसी शुभ ग्रेह की दृष्टि नहीं है तो भी संतान सती का योग बनता है .
विशेष : यदि जनम कुंडली में ब्रहस्पति (कारक) बिगडा हुआ है और उसके कारण संतान नहीं हो रही है तो इस व्यक्ति ने पूर्व जनम में फलदार वृक्षों को कटवाया है या अपने कुल गुरु से द्रोह किया है ......
BY:
SANGITA SHARMA
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